ड्रोन देखने के बाद ही अलर्ट जारी कर दिया गया। इससे पहले की सुरक्षाकर्मी ड्रोन को क्षतिग्रस्त करते वे अंधेरे में गायब हो गए। अलबत्ता रात से ही पुलिस व सेना का इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है। अभी तक किसी भी संदिग्ध गतिविधि देखे जाने की सूचना नहीं है।
सांबा आर्मी कैंप के पास दिखे चार संदिग्ध ड्रोन
सुरक्षा एजेंसियों की चेतावनी के बाद सीमांत इलाकों में बार-बार ड्रोन देखे जाने के बाद सुरक्षाबलों को और भी सतर्क रहने की हिदायत दे दी गई है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे जिला सांबा में रविवार देर रात चार संदिग्ध ड्रोन देखे गए हैं। एक ड्रोन आर्मी कैंप, एक बड़ी ब्राह्मणा पुलिस स्टेशन के नजदीक व दो बलोल पुल के आसपास देखे गए। ये ड्रोन गतिविधियां रात 10.00 बजे से 10.40 बजे के बीच देखी गई।
एसएसपी सांबा राजेश शर्मा ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि रविवार रात को बड़ी ब्राह्मणा व उसके आसपास में चार संदिग्ध ड्रोन देखे गए हैं। ड्रोन देखने के बाद ही इलाके में अलर्ट जारी कर दिया गया। इससे पहले की सुरक्षाकर्मी ड्रोन को क्षतिग्रस्त करते, वे अंधेरे में गायब हो गए। अलबत्ता रात से ही पुलिस व सेना का इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है। अभी तक किसी भी संदिग्ध गतिविधि देखे जाने की सूचना नहीं है। सांबा के बड़ी ब्राह्मणा इलाके में काफी आर्मी कैंप हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि हो सकता है कि आतंकी इन ड्रोन की मदद से इन आर्मी कैंप की गतिविधियों को जांच रहे हों।
सेना ने इलाके में सर्च ऑपरेशन के साथ-साथ आर्मी कैंप के आसपास विशेष नाके स्थापित कर वाहनों की जांच भी शुरू कर दी है। आपको बता दें कि सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही पुलिस व सेना को सतर्क कर दिया है कि पाकिस्तान में बैठ जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की प्लानिंग कर रहे संगठनों ने 5 अगस्त जिस दिन केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त कर उसे दो हिस्सों में विभाजित कर केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया था और 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर बड़े हमलों की योजना बनाई है। ड्रोन की मदद से इन हमलों का अंजाम दिया जा सकता है।
इससे पहले जिला सांबा में ही गत वीरवार देर शाम को तीन अलग-अलग स्थानों पर ड्रोन देखे गए थे। उसी दिन से ही प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया था। आपको यह जानकारी हो कि 15 जुलाई को भी जिला सांबा में स्थित आर्मी कैंपो के पास पांच ड्रोन देखे गए थे। पहला ड्रोन रात करीब 8.15 बजे एक ड्रोन देखा गया। ड्रोन को देख सुरक्षाबलों ने उस पर कई राउंड फायरिंग की गई। इसके बाद कठुआ जिले के हीरानगर सेक्टर के गांव पंसर में भी रात करीब 8.05 बजे एक ड्रोन देखा गया। इसके अलावा उसी दिन जम्मू में तीन अन्य स्थानों अम्फाला क्षेत्र, मीरां साहिब खारियां और सतवारी पर भी ड्रोन देखे गए।
इसके ठीक आठ दिन बाद 23 जुलाई को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जम्मू जिले के सीमावर्ती इलाके कानाचक्क सेक्टर में पांच किलोग्राम वजनी इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आइईडी) सामग्री ले जा रहे एक ड्रोन को मार गिराया। ड्रोन सीमा के अंदर करीब सात से आठ किलोमीटर अंदर उड़ रहा था। उसके छह बड़े पंख थे। वह टेट्राकॉप्टर था। आइईडी सामग्री को ड्रोन के परों के साथ जोड़ा गया था।
ये ड्रोन मूवमेंट जून में जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमले के बाद से अधिक बढ़ गई हैं। इस ड्रोन हमले में भारतीय वायु सेना के दो जवान घायल हो गए थे। इस मामले में आतंकवादियों ने ड्रोन की मदद से एयरफोर्स स्टेशन पर आइईडी में आरडीएक्स और नाइट्रेट के कॉकटेल का इस्तेमाल किया था। ऐसा आतंकियों द्वारा किया गया पहला हमला था।
जांच कर रही जम्मू-कश्मीर पुलिस और एनआइए ने यह भी खुलासा किया कि इस हमले में दो ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने यह आशंका भी जाहिर की कि ड्रोन सीमा पार से आए थे। फिलहाल मामले की जांच जारी है। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने भी रक्षा मंत्रालय को इस बात से अवगत कराया गया गुलाम कश्मीर में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई व सेना आतंकियों को ड्रोन चलाने व उनकी मदद से हमले करने की ट्रेनिंग दे रही है।