सहारा इंडिया ने मंगलवार आठ मार्च को निवेशकों के पुनर्भगतान मामले में पटना हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। सहारा की ओर से कहा गया कि बीते नौ सालों में सेबी ने सहारा ग्रुप ऑफ कंपनीज के निवेशकों को महज 128 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है। जबकि उसके पास 24000 करोड़ की रकम व्यर्थ पड़ी हुई है।
सहारा इंडिया ने मंगलवार आठ मार्च को निवेशकों के पुनर्भगतान मामले में पटना हाईकोर्ट में अपना जवाब दिया। सहारा ने पूंजी बाजार नियामक पर निशाना साधते हुए कहा कि सेबी के पास जो 24 हजार करोड़ रुपये की रकम जमा है, वो निवेशकों कके पुनर्भुगतान के लिए है। लेकिन समूल की कंपनियों में निवेश करने वालों को सेबी की ओर से भुगतान नहीं किया गया है और यह बड़ी रकम ऐसे ही व्यर्थ पड़ी है।
नौ महीने में लौटाए सिर्फ 128 करोड़
सहारा की ओर से हाई कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील उमेश प्रसाद सिंह ने एक लिखित उत्तर में कहा कि बीते नौ सालों में सेबी ने सहारा ग्रुप ऑफ कंपनीज के निवेशकों को महज 128 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है। कंपनी की ओर से तर्क दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट या फिर किसी अन्य अदालत की ओर से सेबी को सहारा की दो कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों/सोसाइटियों के निवेशकों को पुनर्भुगतान करने से रोकने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। जबकि उन कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा फ्रीज किया गया है।
अपने वादे से मुकरा बाजार नियामक सेबी
सहारा की ओर से वकील सिंह ने बताया कि लखनऊ उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई एक रिट याचिका में बाजार नियामक सेबी ने खुद कहा था कि सहारा से मिले पैसे का उपयोग सहारा क्यू शॉप समेत अन्य सभी निवेशकों को पुनर्भुगतान के लिए होगा। सेबी ने यह भी कहा था कि किसी भी स्थिति में अगर इसमें बाधा आती है तो फिर पैसा ब्याज के साथ सहारा को वापस कर दिया जाएगा। कंपनी की ओर से कहा गया कि सेबी अपने वादे पर खरा नहीं उतरा और उसने न तो निवेशकों को भुगतान किया है और न ही सहारा को पैसा रिफंड किया है।
सेबी को 25 मार्च तक देना होगा जवाब
सिंह ने बताया कि सहारा की दलीलों पर सेबी के वकील संतोषजनक जवाब नहीं दे सके और पटना हाई कोर्ट ने बाजार नियामक को 25 मार्च तक इस संबंध में अपना लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा कोर्ट की ओर यह निर्देश भी दिया गया है कि उठाए गए सभी सवालों का जवाब देने के लिए सेबी के एक जिम्मेदार और वरिष्ठ अधिकारी को 28 मार्च को अदालत में पेश होना होगा।