असपरजिलोसिस और न्यूकोरमाइकोसिस दो प्रकार के होते हैं फंगस

खास बात यह है कि असपरजिलोसिस फंगस काफी सुस्त होता है। इसके बढ़ने की प्रक्रिया अलग है, मगर यह न्यूकोरमाइकोसिस की तरह ही दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है। असपरजिलोसिस फंगस में अलग तरह की दवाओं व इंजेक्शन का प्रयोग होता है जो मार्केट में मौजूद है। इसकी कोई कमी नहीं है। न्यूकोरमाइकोसिस फंगस की दवाओं और इंजेक्शन दोनों की भारी कमी है। अभी तक मेडिकल कॉलेज में सभी केसों को न्यूकोरमाइकोसिस फंगस मानकर ही उपचार दिया जा रहा था मगर अब दोनों प्रजातियों की पहचान कर उपचार दिया जा रहा है।

इस तरह हमला करती है ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस दरअसल हमारी नाक में प्रवेश कर साइनिस को ब्लॉक कर देती है। यह फंगस जिस नस को ब्लॉक करती है उसके टिश्यू तक खून पहुंचना रूक जाता है और वह भाग काला पड़ जाता है। यह फंगस मनुष्य के दिमाग तक भी पहुंच सकता है। अग्रोहा में भी ऐसे केस आए हैं जिसमें यह फंगस दिमाग तक पहुंचकर उसे नुकसान पहुंचा चुका है।

चार स्टेज में फैलता है ब्लैक फंगस

पहली स्टेज : नाक संबंधी लक्षण मरीज में आते हैं जैसे नाक बंद हो जाना, खून का आ जाना।

दूसरी स्टेज : साइनिस ब्लॉक हो जाती है इससे नाक के आसापास और चेहरे पर सूनापन आ जाता है।

तीसरी स्टेज : आंख का पिछला हिस्से में यह फंगस फैल जाता है। आंख काली पड़ने लगती है।

चौथी स्टेज : फंगस ब्रेन में चले जाते हैं और उसे खोखला कर देते हैं।

ब्लैक फंगस के दो अलग-अलग वेरियंट है जिनका अलग-अलग उपचार है। पहचान होने से उपचार में आसानी होती है। अभी हमारे यहां चार ऐसे केस आ चुके हैं।