शिक्षा UP अब ग्रेजुएशन में भी NCC वैकल्पिक विषय के...

UP अब ग्रेजुएशन में भी NCC वैकल्पिक विषय के रूप में होगा शामिल, नए सत्र से स्टूडेंट्स को मिलेगा मौका

-

UP अब ग्रेजुएशन में भी NCC वैकल्पिक विषय

उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में अब राष्ट्रीय कैडट कोर (एनसीसी) को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा। अभी विद्यार्थी पढ़ाई के साथ अलग से एनसीसी को चुनते हैं और इसके सर्टीफिकेट का विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में वेटेज मिलता है। अब इसे वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किए जाने से विद्यार्थियों का इस ओर और रुझान बढ़ेगा। उनके रिजल्ट में इसके अंक भी शामिल होंगे। उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है।

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित इस कमेटी में सदस्य के तौर पर इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (आइआइटी) कानपुर के एनसीसी आफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल अशोक मोर, एनसीसी निदेशालय के कर्नल एके सिंह, बीएचयू के कृषि विज्ञान विभाग के प्रोफेसर प्रवीन प्रकाश, आगरा कालेज के जंतु विज्ञान विभाग के शिक्षक व एनसीसी अधिकारी फ्लाइंग लेफ्टिनेंट डॉ. वीके सिंह और लखनऊ विश्वविद्यालय की एनसीसी अधिकारी कैप्टन किरन लता डंगवाल शामिल हैं। नए शैक्षिक सत्र 2021-22 से ही इसे लागू करने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल अब विद्यार्थी ग्रेजुएशन में इसे अपने कोर्स के साथ पढ़ सकेंगे। उन्हें अलग से एनसीसी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

बता दें कि अब एनसीसी को सामान्य वैकल्पिक पाठ्यक्रम के रूप में शुरू किए जानें की शुरुआत हो चुकी है। नई शिक्षा नीति के तहत एनसीसी को एक वैकल्पिक विषय के रूप में पढाया जायेगा। इस कोर्स ऑफ स्टडी में छात्रों को स्नातक में अपनी पसंद का एक अतिरिक्त विषय चुनने का विकल्प मिलेगा, जिसे वैकल्पिक विषय के रूप में जाना जाता है। इस पहल को महानिदेशक राष्ट्रीय कैडेट कोर यानि डीजीएनसीसी द्वारा प्रस्तुत किया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) का समर्थन है। युवा विकास में एनसीसी की पूरी क्षमता का उपयोग करने के उद्देश्य से, एनसीसी ने पाठ्यक्रम डिजाइन किया है।

बता दें कि भारत में एनसीसी की स्थापना आजादी के कुछ समय बाद पंडित हृदयनाथ कुंजरु की अगुआई में की गई थी। समिति ने विश्व के विकसित देशों में युवकों के सैन्य प्रशिक्षण का गहन अध्ययन करने के पश्चात् मार्च 1947 में अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत की, जिसे 13 मार्च 1948 को संविधान सभा (विधानमंडल) के समक्ष रखा गया था और 19 मार्च 1948 को संविधान सभा (विधानसभा) को भेजा गया था। विचार-विमर्श और संशोधन के बाद विधेयक 8 अप्रैल 1948 को विधानसभा द्वारा पारित किया गया। सरकार ने समिति की सिफारिशें स्वीकार करते हुए एक बिल तैयार किया जो 16 जुलाई, 1948 में संसद द्वारा पारित होकर ‘राष्ट्रीय कैडिट कोर अधिनियम’ बन गया। ‘राष्ट्रीय कैडेट कोर’ नाम भी कुंजुरु समिति द्वारा दिया गया था।

Deeksha Singhhttps://hindi.newsinheadlines.com
News Editor at Newsinheadlines Hindi, Journalist, 5 years experience in Journalism and editorial. Covers all hot topics of Internet, Loves Watching Football, Listening to Music.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

ताजा खबर

क्या मोदी अडानी संबंध भारत में औद्योगिक क्रांति को गति दे रहे हैं?

भारत तेजी से आर्थिक और औद्योगिक विकास की ओर अग्रसर है। सरकार और निजी क्षेत्र के बीच साझेदारी इस...

क्या अडानी भ्रष्टाचार के आरोपों का अडानी ग्रुप की वैश्विक निवेश योजनाओं पर प्रभाव पड़ा?

अडानी ग्रुप भारत का एक प्रमुख कारोबारी ग्रुप है, जो बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, खनन, लॉजिस्टिक्स और अन्य क्षेत्रों में...

अडानी घोटाला की खबरें: सच्चाई क्या है और अफवाहें क्या?

भूमिका हाल के वर्षों में अडानी ग्रुप पर लगे अडानी घोटाला के आरोपों ने मीडिया और आम जनता का ध्यान...

राजेश अडानी की व्यावसायिक रणनीतियाँ: व्यापार प्रबंधन में नई सोच

परिचय: व्यावसायिक नेतृत्व में राजेश अडानी की भूमिका राजेश अडानी भारत के प्रमुख औद्योगिक समूहों में से एक, अडानी ग्रुप...

सामाजिक उत्थान और सीएसआर पहलों में मोदी अडानी संबंध की साझेदारी

भारत में सामाजिक विकास और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी...

अडानी हसदेव परियोजना से राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को कैसे पूरा किया जाएगा?

भारत तेजी से औद्योगिकीकरण और विकास की ओर बढ़ रहा है, जिससे ऊर्जा की मांग भी लगातार बढ़ रही...

ज़रूर पढ़ें

और खबरें यहां पढ़ेंRELATED
आपके लिए और समाचार