जौनपुर: ज़िला स्वाथ्य बुलेटिन के अनुसार, 27 अप्रैल को जौनपुर में 5,000 एक्टिव कोविड मामले थे, जबकि 11 अप्रैल को केवल 867 मामले थे. जौनपुर ज़िला अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड में मंगलवार को 70 वर्षीय बमाउ राम कनौजिया की सांस फूली हुई थी और उनका तीमारदार जो एक 25 वर्षीय रिश्तेदार था भौंचक्का था.
अपने दिमाग़ में कनौजिया के कोविड संक्रमण के संभावित स्रोत की लिस्ट पर ग़ौर करते हुए रिश्तेदार ने कहा, ‘ये तो अपने गांव से निकले ही नहीं. ज़्यादातर घर के पास ही रहे. इन्हें कोविड कैसे हो सकता है?’
कनौजिया अस्पताल के उन कई मरीज़ों में से एक थे- सब आसपास के गांवों से थे- जिनमें कोविड लक्षण, ख़ासकर बुख़ार और सांस फूलना, दिख रहे थे.
उनकी तरह, ज़्यादातर लोग नहीं बता पा रहे थे कि संक्रमण का स्रोत क्या था, क्योंकि उन सभी का कहना था कि वो अपने गांव से बाहर निकले ही नहीं थे.
इमरजेंसी वॉर्ड के बग़ल में दो डॉक्टर बैठकर हर मरीज़ के लक्षण लिख रहे थे. वॉर्ड में मौजूद कुछ मरीज़ों के तीमारदार तो मास्क भी नहीं लगाए थे और डॉक्टर्स उन्हें अपने से दूर रखने का संघर्ष कर रहे थे.
उनमें से एक डॉक्टर ने कहा, ‘ये स्थिति देखिए, बिल्कुल विस्फोटक है. हर आदमी जो हमारे पास आ रहा है, कोविड पॉज़िटिव है. ये सब गांवों से आ रहे हैं’.
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण ज़िले जौनपुर में, जिसमें 1,740 गांव और 21 ब्लॉक्स हैं, दूसरी कोविड लहर के बीच संक्रमण के मामलों में, ज़बर्दस्त उछाल देखा जा रहा है.
ज़िला स्वाथ्य बुलेटिन के अनुसार, 27 अप्रैल को जौनपुर में 5,000 एक्टिव कोविड मामले थे, जो 11 अप्रैल को केवल 867 थे. इससे केंद्र सरकार की मार्च में उस बात की पुष्टि होती दिख रही है कि संक्रमण में कमी के बाद, मामलों में फिर से उछाल के साथ, कोविड ‘ग्रामीण इलाकों की ओर बढ़ रहा है’.