सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक व्यक्ति से कहा कि वह अपनी पत्नी को तो तलाक दे सकता है, लेकिन अपने बच्चों को तलाक नहीं दे सकता। इसके साथ ही अदालत ने समझौते के तौर पर उसे चार करोड़ रुपये के भुगतान का आदेश दिया।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए दंपती की आपसी सहमति से तलाक को भी मंजूरी दे दी, जो 2019 से ही अलग-अलग रह रहे हैं।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि दंपती के बीच अन्य शर्तों का पालन समझौते के अनुरूप किया जाएगा।

सुनवाई के दौरान पति के वकील ने बताया कि मध्यस्थता प्रक्रिया के दौरान दोनों पक्ष एक समझौते पर पहुंचे हैं। लेकिन पति को चार करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कुछ और समय की जरूरत होगी, क्योंकि महामारी के चलते उनके कारोबार को भारी नुकसान पहुंचा है। इस पर अदालत ने कहा, समझौते में आपने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि जिस दिन तलाक को मंजूरी मिलेगी, उसी दिन आप चार करोड़ रुपये का भुगतान कर देंगे। अब यह आर्थिक तंगी का तर्क ठीक नहीं रहेगा।

अदालत ने आगे कहा, आप अपनी पत्नी को तलाक दे सकते हैं, लेकिन अपने बच्चों को तलाक नहीं दे सकते, क्योंकि उन्हें आपने जन्म दिया है। आपको उनकी देखभाल करनी होगी। पत्नी और नाबालिग बच्चों के गुजारे के लिए आपको पैसे देने होंगे।