सुमित अंतिल ने टोक्यो पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीता है। उन्होंने इस टूर्नामेंट में सबसे दूर भाला फेंककर विश्व रिकार्ड भी बनाया है। इससे पहले भी अंतिल विश्व रिकार्ड बना चुके हैं लेकिन उनके कोच ने इसे छिपा लिया था।
पैरालिंपिक में विश्व रिकार्ड 68.55 मीटर दूरी पर भला फेंककर स्वर्ण पदक जीतने वाले सुमित अंतिल के कोच नवल सिंह का मानना है कि सुमित ने अपने खेल स्तर को बढाने के लिए पैरा एथलीट नहीं, बल्कि सामान्य एथलीट नीरज चोपड़ा, शिवपाल सिंह के साथ स्पर्धा करते पैरा जगत का सर्वश्रेष्ठ मुकाम हासिल किया। इतना ही नहीं, उन्होंने पहले ही भारत में आयोजित इंडियन ग्रांप्रि में विश्व रिकार्ड तोड़ दिया था।
नवल ने कहा, “सुमित इंडियन ग्रांड प्रिक्स से पहले कोरोना संक्रमित भी हो गए थे। उससे वह उबर ही रहे थे कि पटियाला में टोक्यो ओलिंपिक से पहले एथलेटिक्स की इंडियन ग्रांप्रि प्रतियोगिता होने वाली थी। मैंने सुमित से इसमें भाग लेने के लिया कहा तो फिर यह राजी हो गए थे। इस प्रतियोगिता में नीरज चोपड़ा, शिवपाल जैसे खिलाड़ी भी भाग ले रहे थे। वहां सुमित ने सामान्य एथलीटों के बीच भाले को 66.43 मीटर की दूरी पर फेंका और यह सामान्य एथलीटों के टूर्नामेंट में एक पैरा एथलीट का विश्व रिकार्ड था, लेकिन मैंने इसे एथलेटिक्स फेडरेशन से आगे भेजने के लिए मना कर दिया और कहा कि नहीं, हम इसे छुपा कर रखेंगे और आगे तोड़ेंगे।”
फिनलैंड में भी सामान्य खिलाड़ियों के साथ की स्पर्धा
नवल ने कहा कि वर्ष 2018 में मैंने सुमित को फिनलैंड बुलाया और वहां पर भी सामान्य भाला फेंक खिलाड़ियों की प्रतियोगिताओं में उन्होंने भाग लिया। इससे उनके आगे का सफर बदलता चला गया। कोच नवल ने कहा, “अन्य खिलाड़ी वीरेंद्र, संदीप और मैं हम सभी टाप्स की स्कीम में थे तो अभ्यास करने फिनलैंड गए हुए थे। फिर मैंने उन्हें वहीं पर बुला लिया। तब तक वह राष्ट्रीय स्तर पर भी नहीं खेले थे। मैंने पेरिस में क्लासीफिकेशन हासिल करने के लिए सामान्य वर्ग के एथलीटों के साथ सुमित की प्रतियोगिताएं करवाईं, जहां पर शानदार प्रदर्शन करने पर अंतरराष्ट्रीय पैरालिंपिक समिति से उन्हें क्लासीफिकेशन दिया। इसके बाद सुमित आगे बढ़ते गए और आज इस मुकाम को हासिल किया।”
बचपन में पहलवान बनना चाहते थे सुमित
हरियाणा के रोहतक में वर्ष 1998 को जन्मे सुमित बचपन से ही पहलवान बनना चाहते थे, लेकिन पांच जनवरी 2015 के दिन भयानक सडक दुर्घटना में वह अपना एक पैर घुटने के नीचे से गंवा बैठे। कोच नवल ने कहा, “बचपन से ही पहलवान बनने की चाहत की वजह से सुमित के अंदर शुरू से ही अनुशासन और कुछ करने का जज्बा था। मैं जो भी कहता था वह तुरंत करने को तैयार हो जाते थे। उन्होंने एक तरीके से कमांडो ट्रेनिंग कर रखी है। इन्हीं सब कारणों से वह बहुत जल्दी सब-कुछ सीखते चले गए।”