दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत ने मंगलवार को रांची की कंपनी डोमको प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तीन निदेशक और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को झारखंड में एक कोयला ब्लाक हासिल करने के लिए तथ्यों को कथित रूप से गलत तरीके से पेश के मामले में दोषी ठहराया। विशेष सीबीआइ न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने तीन निदेशकों बिनय प्रकाश, वसंत दिवाकर मांजरेकर, परमानंद मंडल और चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय खंडेलवाल को धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के अपराधों का दोषी ठहराया। वहीं एक अन्य चार्टर्ड अकाउंटेंट मनोज कुमार गुप्ता को भी सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। अदालत बुधवार यानी 15 सितंबर को सजा की अवधि पर दलीलें सुनेगी।

केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) के अनुसार आरोपित कंपनी ने अपने निदेशक प्रकाश के माध्यम से ओडिशा के रायरंगपुर में दो लाख टन प्रति वर्ष क्षमता का पिग आयरन प्लांट स्थापित करने के लिए एक कैप्टिव कोल ब्लाक के आवंटन के लिए इस्पात मंत्रालय को आवेदन किया था। नवंबर 2000 में मंत्रालय के कहने पर फर्म ने कोयला मंत्रालय (एमओसी) को कोयला ब्लाक के आवंटन के लिए एक आवेदन भी प्रस्तुत किया था।

कंपनी द्वारा दी गई जानकारी और दस्तावेजों के आधार पर एमओसी ने आखिरकार झारखंड के वेस्ट बोकारो कोल फील्ड में लालगढ़ (उत्तर) कोल ब्लाक को फर्म के पक्ष में आवंटित किया। उधर, इस बाबत सीबीआई ने आरोप लगाया है कि जांच के दौरान यह पाया गया कि कंपनी ने कई मामलों में इस्पात और कोयला मंत्रालयों को गलत तरीके की जानकारी दी थी।

जांच एजेंसी सीबीआइ ने यह दावा भी किया है कि कंपनी और उसके निदेशकों ने कई अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर एमओसी को उसके पक्ष में एक कैप्टिव कोयला ब्लाक आवंटित करने के लिए प्रेरित करने की साजिश रची थी।