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विधान सभा चुनाव के नतीजों के क्या हैं राजनीतिक संदेश

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ममता बनर्जी के ख़ेमें में जीत का जश्न मनना शुरू हो गया है. विधान सभा केरल में एलडीएफ़ और तमिलनाडु में डीएमके गठबंधन के कार्यकायर्ता भी जश्न की तयारी में जुटे हैं.

बीजेपी ने जिस तरह से बंगाल में चुनावी प्रचार किया था और अपने समर्थकों के बीच ये उम्मीद जगा दी थी कि विजय उसी की होगी, उस परिपेक्ष्य में देखें तो पार्टी के बड़े नेताओं के घरों में मायूसी छाई होगी.

लेकिन इस दृष्टिकोण से देखें कि 2016 के विधानसभा चुनाव में केवल तीन सीटों पर जीत के बाद इस बार इतनी भारी संख्या में सीटों में बढ़त पार्टी के लिए एक गर्व की बात होगी.

ऐसा लगता है कि अब पार्टी के हारे नेता इसी पहलू पर ज़ोर देंगें. चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनावों के नतीजों के पुख़्ता रुझान से कुछ बातें साफ़ होती दिखाई देती हैं.

ममता बनर्जी एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरीं

बंगाल के नतीजों से मुख्यमंत्री की ‘फ़ाइटर’ की छवि और ही पुख़्ता होती है. उनके सामने सियासी करियर की सबसे बड़ी चुनौती थी जिसमें वो खरी उतरीं.

उनके कुछ साथी उन्हें छोड़कर बीजेपी में शामिल ज़रूर हो गए लेकिन उनके वोटरों ने उनका साथ नहीं छोड़ा. उनकी तृणमूल पार्टी को 2011 और 2016 के विधानसभा चुनावों में 44 प्रतिशत वोट मिले थे.

यहाँ तक कि जब 2019 के आम चुनाव में उन्हें बीजेपी से झटका मिला और लोकसभा में उनकी सीटें कम हुईं तो उस चुनाव में भी पार्टी का वोट पर्सेंटेज नहीं गिरा.

इस चुनाव के अब तक के रुझान से साफ़ हो गया है कि उनके समर्थकों और वोटरों ने उन पर अपना विश्वास बनाये रखा है.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई लोगों ने उन्हें बधाई के सन्देश भेजे हैं.

‘दीदी ओ दीदी’ का ताना बनाम ममता की टांग पर चढ़ा प्लास्टर

प्रधानमंत्री मोदी ने अनगिनत रैलियों में ममता बनर्जी पर ताने कसे. मोदी ने ‘दीदी ओ दीदी…कितना भरोसा किया था बंगाल के लोगों ने आप पर’, जैसे जुमले मज़े लेकर कहे.

शायद वोटरों ने इसे पसंद नहीं किया. इस पर पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा ने प्रधानमंत्री पर महिलाओं का अपमान करने का इलज़ाम लगाया था.

दूसरी तरफ़ नंदीग्राम में एक छोटी सी घटना के दौरान ममता बनर्जी के पैर में चोट आयी जिसके बाद उन्होंने अपने पैर पर कई दिनों तक प्लास्टर चढ़ाए रखा और चुनाव प्रचार व्हीलचेयर पर किया.

बीजेपी ने इसे ‘ममता का ढोंग’ कहा और इसे जनता से सहानुभूति हासिल करने का एक घटिया तरीक़ा कहा. उस समय बंगाल के एक राजनीतिक विशेषज्ञ रंजन मुखोपाध्याय ने बीबीसी से कहा था, “दीदी चुनाव जीत गयी. ये इमेज उन्हें पक्का चुनाव जिताएगी.”

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